"नमस्कार"
2018
एक समय था कि स्कूल कॉलिज इतने कम थे । की पढ़ने के लिए हमें 15 से 20 किलो मीटर तक पढ़ने के लिए जाना पढता था। और कुछ जंघह तो ऐसी थी की वहां पढ़ने जाने के लिए कोई सवारी तक नहीं थी। ऐसे में स्कूल पहुचने के लिए बहुत बहुत दूर तक पैदल जाना पढता था।
उस समय इतनी दूर आने जाने के कारण कुछ बच्चे पढ़ नहीं पाते थे ।
लेकिन आज ?
आज तो ऐसा नहीं है आज तो हर गांव हर शहर में बहुत से स्कूल है फिर भी बच्चे पढ़ नहीं पाते।
आप सब को पता है क्यों ?
क्योकि आज स्कूल नहीं व्यापर चलते है ।
क्या आप जानते है स्कूलों में क्या-क्या होने लगा है ?
आज अगर किसी बचे की फीस जमा न हो पाए तो उस बच्चे को क्लास से बहार खड़ा कर दिया जाता है।
अगर किसी बच्चो के माँ-बाप के पास पैसे की कमी हो तो उसके बच्चों को अछे स्कूल में पढ़ने का कोई हक़ नहीं।
और यहाँ तक बच्चो को कुछ स्कूलों में एडमिशन नहीं मिलता
क्योकि उनके माता-पिता पढ़े लिखे नहीं है।
ये सवाल आप सब से है अगर माता पिता पढ़े नहीं है क्या उनके बच्चों को भी पढ़ना नहीं चाहिए।
दोस्तों बताओगे के एक गरीब के बच्चे को पढ़ने का हक़ नहीं है।
एक भिकारी जो सब से भीख मांगकर कैसे न कैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर पता है क्या उसके बच्चों को पढ़ने का अधिकार नहीं है
ये सवाल मेरा मेरे देश से है ?
मेरे देश में कब तक बच्चे स्कूल से बहार खड़े होकर पढ़ने के सपने देखते रहेंगे।
बच्चो को स्कूल क्लास से बहार नहीं अंदर होना चाहिए। उन अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए ये मौका मिलना चाहिए
बच्चो को आज भी गुरु ज्ञान मिलना चाहिए ।
और गुरु को गुरु ज्ञान बेचना नहीं प्रदान करना चाहिए।
अगर सहमत हो तो शेयर करो ।। धन्येवाद
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
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